डोरवेल बहुत ही संकोच में बजाई गयी थी,
तो मैं चौंका!! कौन होगा....🤔
दाई, नौकर, ड्राइवर धोबी दादा,
या सब्जी वाला!!
सबकी डोरवेल बजाने की स्टाइल अलग अलग ही होती है।
वैसे भी 50 दिन से अधिक चल रहे lockdown में न कोई दोस्त आ रहे न कोई रिश्तेदार।
🌹
जाकर देखा तो मोहल्ले के मंदिर के पुजारी वयोवृद्ध पंडित जी खड़े थे।
चरण स्पर्श भी नहीं कर सकते थे,
(social distance जो मेंटेन करना था)
🌹
सो ससंकोच दूर से ही करबद्ध सादर प्रणाम किया।
(मुँह में mask लगा कर सोच ही रहा था।🤔)
उन्होंने आशीर्वाद देते हुये पुराने किन्तु साफ-सुथरे थैले से मंदिर का प्रसाद निकाल कर दिया।
🌹
पंडित जी ने कहा कि अक्षय तृतीया भी व्यतीत हो गयी, आज मंगलवार था,
पर आप नहीं आए ।
वर्तमान परिस्थिति स्पष्ट करते हुये समझाना चाहा कि स्थिति आप देख ही रहे हैं। अब तो भगवान जब सब ठीक ठाक करेंगे तभी आना होगा।
🌹
तभी पंडित जी ने मुँह से अपना गमछा हटाया, वे धीरे-धीरे सुबकते हुये बोले कि आप लोगों के दान और चढ़ावे से ही मेरे परिवार का भरण पोषण होता है...
एक महीने से सब बंद है...
भूखों मरने की नौबत है।
हमलोगों के लिए अन्य कोई व्यवस्था नहीं है...
हमें भूख नहीं लगती है क्या??
हम भी आपके धार्मिक मजदूर ही तो हैं।😢
🌹
मन तकलीफ से भर गया सोचा ही नही इस बारे मैं •••••••••••.
अपने को कोरोना से सुरक्षित रखने की चिंताओं के बीच इनकी चिंता ही नहीं रही।
उन्हें शाब्दिक सान्त्वना देते हुये...
घर के अंदर आने का आग्रह किया।
सूखे कपोलों में ढलके आँसू पोंछते हुये...
पंडित जी ने स्वल्पाहार लेने से मना कर दिया..
बोले👇
घर में सब भूखे बैठे हैं, मैं कैसे खा लूँ ?
🌹
फौरन जनरल स्टोर के अंकलजी को फोनकर महीने भर का राशन पुजारी जी के यहांँ पहुँचाने का आग्रह किया तो पुजारी जी संतुष्ट हुये।
हजारों आशीष देते हुये बार बार पीछे मुड़ मुड़कर हमें कृतज्ञ नेत्रों से देखते हुये पुजारी जी वापस जा रहे थे ।
😇
"धर्म वाहकों" का भी ध्यान रखना होगा....सड़क चलते राहगीरों से हाथ फैलाकर भिक्षा माँगने के लिए इन्हें नही छोड सकते ।
#मदरसों_के_मौलवियों_की_तरह_कोई_सरकार_इन्हें_वेतन_नहीं_देती।
हमारे आपके आश्रय से ही इनका परिवार भी पलता है ।
🌹🙏🏻🌹
साभार फेसबुक
नोट - तस्वीर का इस्तेमाल पोस्ट की रिच बढाने के लिये है मात्र !!
तो मैं चौंका!! कौन होगा....🤔
दाई, नौकर, ड्राइवर धोबी दादा,
या सब्जी वाला!!
सबकी डोरवेल बजाने की स्टाइल अलग अलग ही होती है।
वैसे भी 50 दिन से अधिक चल रहे lockdown में न कोई दोस्त आ रहे न कोई रिश्तेदार।
🌹
जाकर देखा तो मोहल्ले के मंदिर के पुजारी वयोवृद्ध पंडित जी खड़े थे।
चरण स्पर्श भी नहीं कर सकते थे,
(social distance जो मेंटेन करना था)
🌹
सो ससंकोच दूर से ही करबद्ध सादर प्रणाम किया।
(मुँह में mask लगा कर सोच ही रहा था।🤔)
उन्होंने आशीर्वाद देते हुये पुराने किन्तु साफ-सुथरे थैले से मंदिर का प्रसाद निकाल कर दिया।
🌹
पंडित जी ने कहा कि अक्षय तृतीया भी व्यतीत हो गयी, आज मंगलवार था,
पर आप नहीं आए ।
वर्तमान परिस्थिति स्पष्ट करते हुये समझाना चाहा कि स्थिति आप देख ही रहे हैं। अब तो भगवान जब सब ठीक ठाक करेंगे तभी आना होगा।
🌹
तभी पंडित जी ने मुँह से अपना गमछा हटाया, वे धीरे-धीरे सुबकते हुये बोले कि आप लोगों के दान और चढ़ावे से ही मेरे परिवार का भरण पोषण होता है...
एक महीने से सब बंद है...
भूखों मरने की नौबत है।
हमलोगों के लिए अन्य कोई व्यवस्था नहीं है...
हमें भूख नहीं लगती है क्या??
हम भी आपके धार्मिक मजदूर ही तो हैं।😢
🌹
मन तकलीफ से भर गया सोचा ही नही इस बारे मैं •••••••••••.
अपने को कोरोना से सुरक्षित रखने की चिंताओं के बीच इनकी चिंता ही नहीं रही।
उन्हें शाब्दिक सान्त्वना देते हुये...
घर के अंदर आने का आग्रह किया।
सूखे कपोलों में ढलके आँसू पोंछते हुये...
पंडित जी ने स्वल्पाहार लेने से मना कर दिया..
बोले👇
घर में सब भूखे बैठे हैं, मैं कैसे खा लूँ ?
🌹
फौरन जनरल स्टोर के अंकलजी को फोनकर महीने भर का राशन पुजारी जी के यहांँ पहुँचाने का आग्रह किया तो पुजारी जी संतुष्ट हुये।
हजारों आशीष देते हुये बार बार पीछे मुड़ मुड़कर हमें कृतज्ञ नेत्रों से देखते हुये पुजारी जी वापस जा रहे थे ।
😇
"धर्म वाहकों" का भी ध्यान रखना होगा....सड़क चलते राहगीरों से हाथ फैलाकर भिक्षा माँगने के लिए इन्हें नही छोड सकते ।
#मदरसों_के_मौलवियों_की_तरह_कोई_सरकार_इन्हें_वेतन_नहीं_देती।
हमारे आपके आश्रय से ही इनका परिवार भी पलता है ।
🌹🙏🏻🌹
साभार फेसबुक
नोट - तस्वीर का इस्तेमाल पोस्ट की रिच बढाने के लिये है मात्र !!