Gyansagar ( ज्ञानसागर ) - भक्ति व् ज्ञान का अद्भुत संगम
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अपनी योग्यता ऐसी रखो की बड़े लोग ही बना दे , बताने की जरूरत नही की आप का स्तर क्या है !! 😏
कीमत योग्यता की ही होती है !!
आज जिस तरह रिया रिया हो रहा है वो जनता को वर्तमान समस्या और मुद्दों से भटकाने का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है !! रिया रिया हो लेकिन भारत मे क्या हुआ क्या नही ये भी तो बताना चाहिए ! शिक्षक वाली खबर गोल !! बेरोजगारी वाली खबर गोल !! कितने कम्पनी दिवालिया हुई वो गोल !! कोरोना की खबर दिखाया लेकिन उसके प्रभाव की खबरों को छिपाया !! चीन और भारत की खबर दिखाई , पाकिस्तान की खबर दिखाई पर देश के अंदरूनी मुद्दों की खबर कभी ब्रेकिंग न्यूज़ नही बन पाई ! इमोशनल बैकग्राउंड म्यूसिक और सोशल मीडिया में अपने पार्टियों के चमचे और कुत्तों से दिन रात पार्टी की तारीफ और विपक्षी पार्टी के पोस्टर शेयर वायरल करने वाले और हम जैसे आम जनता कुछ पोस्ट किया जाए ताकि जनता को व्यस्त रखा जाए य एक्टिविटी बनाई जा सके इसीलिये ऐसी चीजें शेयर कर देते और बाद में बीवी और बच्चो से कहते है बेटा इस देश का कुछ नही हो सकता !! वास्तव में परिवर्तन की चाह रखने वाले खुद कुछ नही करते और सबसे बुरी स्थिति हमारी माता बहनों की हुई ! जिससे कभी ममता,प्यार,स्नेह और आशीर्वाद बरसता था आज सीरियल के डायलॉग और कौन सी कपड़े पहनूं और कौन सा ब्यूटी पार्लर जाऊं इस सोच में जाने लगी है ! वास्तव में टीवी से सँस्कृति और व्यवस्था,माहौल परिवर्तन होता है जितना पोर्न इंडस्ट्री ने देश को बर्बाद नही किया उतना ये जालिम टीवी सीरियल,मीडिया वाले कुत्ते एयर कुछ फ़िल्म और बाद में ऑनलाइन इंटरनेट है क्योंकि देश मे कोई जानबूझकर बुरी चीजे देखना पसंद नही करता पर टीवी के रिमोट से सीमित चैनल होने के कारण आज हर कोई रिया सुशांत और धारावाहिक तक सीमित रह गया है ! देश की अर्थव्यवस्था, समाज की समस्या,रेप,हत्या ये सब लगता है बंद हो गए है !! क्यों !! क्योंकि उससे सरकार और उस नेता पर प्रश्न चिन्ह लग जायेगा सुर अब न्यूज़ मीडिया मतलब अपने अपने पार्टी के हित की खबरों को दिखाने का मंच हो गया है !! वास्तब में ये लोकतंत्र कम गुमराह तंत्र ज्यादा लगता है ! सरकार ने काफी फैसले अच्छे लिए है इसके लिये वो बधाई की पात्र है और उसकी प्रशंसा करना उचित है पर पहले जैसे बरगद के पेड़ के नीचे सभी को समाज की कमियां और अच्छाइयां पता चलती थी आज सब तबाह और खत्म सा हो गया है ! सरकार में हर अधिकारी सेटिंग से काम करता है चाहे नेता हो य अधिकारी !! बाहर से दूध के धुले और अंदर से दूषित एकदम !!

सुझाव सभी के लिये - सरकारी तंत्र को समझने वाली पुस्तक,कानून की यस्तक,प्रेरणादायक कहानियां,तमाम महात्माओं की जीवनी पढ़े सिर्फ शुभकामनाएं आदि न दे ! टीवी एक व्यसन है जैसे आज चाय,तम्बाकू,गुटखा,सिगरेट,बीड़ी,हुक्का,नेटफ्लिक्स, गेम्स,गन्दी फ़िल्म है ! छुटकारा पाने के लिये समय सीमा काम करते जाए एकदम से नही हो पायेगी फिर जो शांति महसूस होगी तब आपको लगेगा देश कितना प्यारा और शांत है ! वास्तव में सोशल मीडिया और उससे ज्यादा टीवी देखने वाले का मानसिक स्तर काफी उत्तेजक होता है और उसके रिपोर्ट से वो प्रभावित होकर खुद को ज्ञानचंद समझ बैठता है जबकि वो सच अधूरा होता कई बार है !! पहले अंग्रेज गुलाम बनाते थे , मुगल गुलाम बनाते थे और आज पार्टी वाले गुलाम बनाते है !!

अपने संगठन य भारत मे एकता लानी है तो पेशे से संगठन बनाइये न कि जाति से तब कुछ परिवर्तन भी होगा क्योंकि मेरा अनुभव है व्यापारिक सम्बन्ध में मित्रता अच्छी रहती है सिवाय जातिगत सम्बन्ध के , उसमे तुलना और ईर्ष्या वाले लोग काफी होते है !
सरकार से जॉब की इच्छा करना वैसे ही जैसे अनपढ़ गवार चारा चोर से निवेदन करना कि हमे गाय के दूध का बून्द दे दे ! सरकार पहले खुद का पेट भरेगी फिर जनता का सोचेगी !! इसीलिये आप अपने से एक रोजगार का साधन तलाश करिये य सृजन करिये ! समस्या क्या है उसपे विचार करिये और उसके समाधान को व्यवसायिक विकल्प बना लीजिए !! कोशिश करिये पार्टी के पोस्ट व टीवी के सीरियल से दूर रहने की खासकर माता बहने ! इंटरण्टेन्मेंट के कई साधन हो सकते है उसपर विचार विमर्श हो सकता है पर टीवी कभी एंटरटेनमेंट नही हो सकता क्योंकि वो बिजनेस है न कि आपके हिट में पड़ोसी गयी चलचित्र
आप इस शोषित सदस्य की तरह 1,2 का 4 और 4,2 का 1 के चक्कर मे न फंसे !! आर्मी हो य पुलिस , नो एडवांस पेमेंट अनजान लोगो पर !!