July 10, 2020
July 10, 2020
July 10, 2020
एक प्रेरणादायक कहानी - पाप की खीर
बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी। सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा ।
सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है , तो कुछ धर्म-कर्म भी करना चाहिए।
एक दिन उसने बासमती चावल की खीर बनवायी और किसी साधु बाबा को आमंत्रित कर भोजनप्रसाद लेने के लिए प्रार्थना की।
साधु बाबा ने बासमती चावल की खीर खायी।
दोपहर का समय था । सेठ ने कहाः "महाराज ! अभी आराम कीजिए । थोड़ी धूप कम हो जाय फिर पधारियेगा।
साधु बाबा ने बात स्वीकार कर ली।
सेठ ने 100-100 रूपये वाली 10 लाख जितनी रकम की गड्डियाँ उसी कमरे में चादर से ढँककर रख दी।
साधु बाबा आराम करने लगे।
खीर थोड़ी हजम हुई । साधु बाबा के मन में हुआ कि इतनी सारी गड्डियाँ पड़ी हैं, एक-दो उठाकर झोले में रख लूँ तो किसको पता चलेगा ?
साधु बाबा ने एक गड्डी उठाकर रख ली।
शाम हुई तो सेठ को आशीर्वाद देकर चल पड़े।
सेठ दूसरे दिन रूपये गिनने बैठा तो 1 गड्डी (दस हजार रुपये) कम निकली।
सेठ ने सोचा कि महात्मा तो भगवतपुरुष थे, वे क्यों लेंगे.?
नौकरों की धुलाई-पिटाई चालू हो गयी। ऐसा करते-करते दोपहर हो गयी।
इतने में साधु बाबा आ पहुँचे तथा अपने झोले में से गड्डी निकाल कर सेठ को देते हुए बोलेः "नौकरों को मत पीटना, गड्डी मैं ले गया था।"
सेठ ने कहाः "महाराज ! आप क्यों लेंगे ? जब यहाँ नौकरों से पूछताछ शुरु हुई तब कोई भय के मारे आपको दे गया होगा । और आप नौकर को बचाने के उद्देश्य से ही वापस करने आये हैं क्योंकि साधु तो दयालु होते है।"
साधुः "यह दयालुता नहीं है । मैं सचमुच में तुम्हारी गड्डी चुराकर ले गया था।
साधु ने कहा सेठ ....तुम सच बताओ कि तुम कल खीर किसकी और किसलिए बनायी थी ?"
सेठ ने सारी बात बता दी कि स्टेशन मास्टर से चोरी के चावल खरीदता हूँ, उसी चावल की खीर थी।
साधु बाबाः "चोरी के चावल की खीर थी इसलिए उसने मेरे मन में भी चोरी का भाव उत्पन्न कर दिया। सुबह जब पेट खाली हुआ, तेरी खीर का सफाया हो गया तब मेरी बुद्धि शुद्ध हुई कि
'हे राम.... यह क्या हो गया ?
मेरे कारण बेचारे नौकरों पर न जाने क्या बीत रही होगी । इसलिए तेरे पैसे लौटाने आ गया ।
"इसीलिए कहते हैं कि....
जैसा खाओ अन्न ... वैसा होवे मन।
जैसा पीओ पानी .... वैसी होवे वाणी । जैसी शुद्धी.... वैसी बुद्धी.... ।
जैसे विचार ... वैसा संसार
🙏🙏🙏
बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी। सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा ।
सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है , तो कुछ धर्म-कर्म भी करना चाहिए।
एक दिन उसने बासमती चावल की खीर बनवायी और किसी साधु बाबा को आमंत्रित कर भोजनप्रसाद लेने के लिए प्रार्थना की।
साधु बाबा ने बासमती चावल की खीर खायी।
दोपहर का समय था । सेठ ने कहाः "महाराज ! अभी आराम कीजिए । थोड़ी धूप कम हो जाय फिर पधारियेगा।
साधु बाबा ने बात स्वीकार कर ली।
सेठ ने 100-100 रूपये वाली 10 लाख जितनी रकम की गड्डियाँ उसी कमरे में चादर से ढँककर रख दी।
साधु बाबा आराम करने लगे।
खीर थोड़ी हजम हुई । साधु बाबा के मन में हुआ कि इतनी सारी गड्डियाँ पड़ी हैं, एक-दो उठाकर झोले में रख लूँ तो किसको पता चलेगा ?
साधु बाबा ने एक गड्डी उठाकर रख ली।
शाम हुई तो सेठ को आशीर्वाद देकर चल पड़े।
सेठ दूसरे दिन रूपये गिनने बैठा तो 1 गड्डी (दस हजार रुपये) कम निकली।
सेठ ने सोचा कि महात्मा तो भगवतपुरुष थे, वे क्यों लेंगे.?
नौकरों की धुलाई-पिटाई चालू हो गयी। ऐसा करते-करते दोपहर हो गयी।
इतने में साधु बाबा आ पहुँचे तथा अपने झोले में से गड्डी निकाल कर सेठ को देते हुए बोलेः "नौकरों को मत पीटना, गड्डी मैं ले गया था।"
सेठ ने कहाः "महाराज ! आप क्यों लेंगे ? जब यहाँ नौकरों से पूछताछ शुरु हुई तब कोई भय के मारे आपको दे गया होगा । और आप नौकर को बचाने के उद्देश्य से ही वापस करने आये हैं क्योंकि साधु तो दयालु होते है।"
साधुः "यह दयालुता नहीं है । मैं सचमुच में तुम्हारी गड्डी चुराकर ले गया था।
साधु ने कहा सेठ ....तुम सच बताओ कि तुम कल खीर किसकी और किसलिए बनायी थी ?"
सेठ ने सारी बात बता दी कि स्टेशन मास्टर से चोरी के चावल खरीदता हूँ, उसी चावल की खीर थी।
साधु बाबाः "चोरी के चावल की खीर थी इसलिए उसने मेरे मन में भी चोरी का भाव उत्पन्न कर दिया। सुबह जब पेट खाली हुआ, तेरी खीर का सफाया हो गया तब मेरी बुद्धि शुद्ध हुई कि
'हे राम.... यह क्या हो गया ?
मेरे कारण बेचारे नौकरों पर न जाने क्या बीत रही होगी । इसलिए तेरे पैसे लौटाने आ गया ।
"इसीलिए कहते हैं कि....
जैसा खाओ अन्न ... वैसा होवे मन।
जैसा पीओ पानी .... वैसी होवे वाणी । जैसी शुद्धी.... वैसी बुद्धी.... ।
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🙏🙏🙏
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वैसे तो आप सभी जानते है कि देश में कैसा माहौल है पर लगता है टीवी न्यूज वाले और फिल्म वाले ये भूल गये है कि इतनी दिनों तक घर पर बैठने से उन्होंने जो सीखा है वो यही कि परिवार और अपनी संस्कृति से जुड़ाव ही सबसे महत्वपूर्ण है ! और उसके बाद तमाम लोग सोशल मीडिया और YOUTUBE पर शायद दिन रात वो सभी चीजे देखते रहे य वो सभी काम करते रहे जो वो कभी नही कर पाए थे !! जैसे सभी धार्मिक चीजो का अनुसरण करना , क्रांतिकारी विचार और धर्मसंगत बातो को पढ़ना,जानना.सत्संग आदि आदि ! तभी तो शायद इतनी बेशर्मी और पाप करने के बावजूद दुष्ट और राक्षस किस्म के लोग भारत की जनता को वो सब परोसते है जो उनके मतलब का है नही ! जिसकी उन्हें जरूरत नही है ! कोई फिल्म जो देश में 130 करोड़ जनता के सामने रिलीज होती है जिसमे आप सिर्फ सिगरेट और किस करना ये सब दिखाओ और ये भी नही , जिसका वास्तिवकता से कोई सरोकार नही ! जहाँ की अभिनेत्री कपड़े उतारने और पेड कैंपेन चलाकर फोलोवर जुटाकर अपने को बहुप्रसिद्ध समझती हो वो सिर्फ मूर्ख ही है ! क्या देश की जनता को ये पता नही कि एंटरटेनमेंट के नाम पर आप क्या दिखाते हो ! कभी कोई फिल्म शायद ही रिलीज हो जिसमे विज्ञान की बातें शामिल हो य जनचेतना वाली कोई सीख शामिल हो ! मात्र एक्का दुक्का अभिनेत्री-अभिनेता ही होते है जो सामाजिक विषयों पर फिल्म बनाकर देश को कुछ अच्छा देते है वरना ये सब तो मात्र जगह जगह छी छी करने का ही काम करते है !
१२ अगस्त को सड़क छाप २ का ट्रेलर जैसे ही रिलीज हुआ ,लोगो ने भरकर उसका बहिष्कार किया !
https://www.gyansagar999.com/2020/08/most-dislikes-sadak2.html पूरी पोस्ट लिंक में पढ़े
वैसे तो आप सभी जानते है कि देश में कैसा माहौल है पर लगता है टीवी न्यूज वाले और फिल्म वाले ये भूल गये है कि इतनी दिनों तक घर पर बैठने से उन्होंने जो सीखा है वो यही कि परिवार और अपनी संस्कृति से जुड़ाव ही सबसे महत्वपूर्ण है ! और उसके बाद तमाम लोग सोशल मीडिया और YOUTUBE पर शायद दिन रात वो सभी चीजे देखते रहे य वो सभी काम करते रहे जो वो कभी नही कर पाए थे !! जैसे सभी धार्मिक चीजो का अनुसरण करना , क्रांतिकारी विचार और धर्मसंगत बातो को पढ़ना,जानना.सत्संग आदि आदि ! तभी तो शायद इतनी बेशर्मी और पाप करने के बावजूद दुष्ट और राक्षस किस्म के लोग भारत की जनता को वो सब परोसते है जो उनके मतलब का है नही ! जिसकी उन्हें जरूरत नही है ! कोई फिल्म जो देश में 130 करोड़ जनता के सामने रिलीज होती है जिसमे आप सिर्फ सिगरेट और किस करना ये सब दिखाओ और ये भी नही , जिसका वास्तिवकता से कोई सरोकार नही ! जहाँ की अभिनेत्री कपड़े उतारने और पेड कैंपेन चलाकर फोलोवर जुटाकर अपने को बहुप्रसिद्ध समझती हो वो सिर्फ मूर्ख ही है ! क्या देश की जनता को ये पता नही कि एंटरटेनमेंट के नाम पर आप क्या दिखाते हो ! कभी कोई फिल्म शायद ही रिलीज हो जिसमे विज्ञान की बातें शामिल हो य जनचेतना वाली कोई सीख शामिल हो ! मात्र एक्का दुक्का अभिनेत्री-अभिनेता ही होते है जो सामाजिक विषयों पर फिल्म बनाकर देश को कुछ अच्छा देते है वरना ये सब तो मात्र जगह जगह छी छी करने का ही काम करते है !
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Gyansagar ( ज्ञानसागर ) - भक्ति व ज्ञान का अद्धभुत संगम
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