GK Sarkari UKSSSC UKPSC Uttarakhand SI, Uttarakhand Police Pdf, books, Test series For Police SI
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इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (Electronic Voting Machines- EVM) से संबंधित एक स्वतंत्र सत्यापन प्रिंटर मशीन है जो मतदाताओं को यह सत्यापित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट उचित तरीके से दर्ज किया गया है।

इसे 2013 में नगालैंड के नोकसेन विधानसभा क्षेत्र के उप-चुनाव में पेश किया गया था।

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वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सभी सीटों पर VVPAT का इस्तेमाल किया गया।
प्रसिद्ध‌ इतिहासकार यशवंत सिंह कठौच को पद्मश्री
25 जनवरी, 2024 को गणतंत दिवस की पूर्व संध्या पर केन्द्र सरकार ने पद्म पुरस्कार 2024 के नामों की घोषणा की है इनमे पद्‌मश्री अर्वाड के लिए उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध इतिहासकार यबवंत सिहं कठोच का नाम शामिल है।

वर्ष 2024 के लिए देशभर से 132 हस्तियों को

पद्म अलंकरण के लिए चुना गया है, जिसमे 5 पद्म‌विभूषण, 17 पद्म भूषण, 110 पद्म श्री हैं। उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़‌वाल के निवासी 89 वर्षीय डा० यशवंत सिंह कठौच को अब तक 10 से अधिक किताबें लिखने के साथ ही 50 से अधिक शोध पत्रों का वाचन कर चुके हैं।

उनकी पुस्तक 'उत्तराखण्ड का नवीन इतिहास' में उत्तराखण्ड के इतिहास की बारीकी से जानकारी है। अन्य पुस्तकें - मध्य हिमालय का इतिहास (एटकिन्सन रचित)
22 मार्च 2024 को उत्तराखण्ड के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी नमामि बंसल ने बताया कि उत्तराखण्ड में मतदान प्रतिशत 75 प्रतिशत का लक्ष्य हासिल करने के लिए चुनाव आयोग ने पहली बार टिप प्लान लागू किया जिसका पूर्ण स्वरूप है - टर्न आउट इंप्लीमेंटशन प्लान
28 April 2024 Current Affairs in English & Hindi



➼ ' National Worm Day' is celebrated every year on 27 April in India .
भारत में प्रत्येक वर्ष 27 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय कृमि दिवस’मनाया जाता है।

➼ 'Simon Harris TD' has become the youngest Prime Minister of Ireland.
‘साइमन हैरिस टीडी’ आयरलैंड के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने हैं।

➼ ICC has appointed former Team India all-rounder ' Yuvraj Singh' as the brand ambassador of the upcoming T20 World Cup 2024.
ICC ने टीम इंडिया के पूर्व ऑलराउंडर ‘युवराज सिंह’ को आगामी T20 वर्ल्ड कप 2024 का ब्रांड एम्बेसडर नियुक्त किया है।

➼ 'Narsingh Yadav' has been elected chairman of the Athletes Commission of the Wrestling Federation of India (WFI).
‘नरसिंह यादव’ को भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के एथलीट आयोग का अध्यक्ष चुना गया है।

➼ ' G7 Summit 2024' will be organized in Italy .
इटली में ‘G7 शिखर सम्मलेन 2024’ का आयोजन किया जाएगा।

➼ 'Amitabh Chaudhary' has been re-appointed MD and CEO of Axis Bank.
‘अमिताभ चौधरी’ को एक्सिस बैंक का पुनः एमडी और सीईओ नियुक्त किया गया है।

➼ Indian Air Force has successfully tested ' Crystal Maze-2 Missile' in Andaman and Nicobar Islands.
भारतीय वायुसेना ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह में ‘क्रिस्टल मेज-2 मिसाइल’ का सफल परीक्षण किया है।

➼ The 2nd Global IP Leadership Summit organized by ASSOCHAM will be held in ' New Delhi' .
ASSOCHAM द्वारा आयोजित दूसरा वैश्विक IP लीडरशिप शिखर सम्मेलन ‘नई दिल्ली’ में आयोजित किया जाएगा।

➼ Sutlej Jal Vidyut Nigam Limited (SJVN) has commissioned India's first green hydrogen project in the state of ' Himachal Pradesh' .
सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (SJVN) ने ‘हिमाचल प्रदेश’ राज्य में भारत की पहली ग्रीन हाइड्रोजन परियोजना शुरू की है।

➼ Uganda has appointed ' Abhay Sharma' as the head coach ahead of the upcoming T20 World Cup 2024.
युगांडा ने आगामी T20 विश्व कप 2024 से पहले ‘अभय शर्मा’ को मुख्य कोच नियुक्त किया है।

➼ The states of 'Karnataka' and ' Gujarat'have been at the top position in adopting clean energy.
‘कर्नाटक’ और ‘गुजरात’ राज्य स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में शीर्ष स्थान पर रहे है।
बिलकुल और बिल्कुल में से कौनसा सही है?


बिलकुल और बिल्कुल दोनों शब्दों में उच्चारण की दृष्टि से बिल्कुल शब्द प्रचलन में है।

परंतु शुद्ध शब्द बिलकुल है ( कई बार इस शब्द में बिल उपसर्ग भी पूछा गया है जो कि हलन्त नही होता, बिल एक उर्दू उपसर्ग है 👍)

इस प्रकार – बिल+कुल=बिलकुल

बिलकुल शब्द शुद्ध है✔️
'नमस्ते से प्रणाम तक'

[भाषा संशय-शोधन]

★ आइए, इन शब्दों के व्युत्पत्तिगत अर्थ को देखते हैं। शायद इनके अर्थ-परक विभेद इस प्रक्रिया में ही स्पष्ट हो जाएँ।

★ अभिवादन के लिए नमन, नमस्ते, नमामि, नमस्कार, प्रणाम आदि अनेक शब्द प्रयुक्त होते हैं। इन सभी शब्दों में एक तथ्य समान है– सबके मूल में झुकना ही है। लेकिन पहले 'अभिवादन' शब्द को देख लेते हैं।

★ 'अभि+वादन = अभिवादन'। ‘अभि’ संस्कृत का उपसर्ग है, जिसका अर्थ– अच्छा, सामने आदि है। ‘वादन’ का अर्थ है– 'बोलना'। ‘वादन’ शब्द ‘वद्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ ही है– बोलना। ऐसे, 'अभिवादन' शब्द की निर्मिति है: [अभिवादन= अभि+वद्+घञ्, ल्युट् वा]। 'अभि' का अर्थ अच्छा और 'वादन' का अर्थ बोलना को जोड़कर 'अभिवादन' शब्द का मूल अर्थ है– ‘अच्छा बोलना’ अथवा ‘अच्छी वाणी’ बोलना है। अभिवादन करने वाले को 'अभिवादक' कहते हैं। अस्तु, अभिवादन का क्षेत्र बहुत बड़ा है। ससम्मान नमस्कार, छोटों के द्वारा बड़ों को प्रणाम, राम-राम, सुप्रभात, जय हिंद, नमस्ते आदि सभी 'अभिवादन' हैं। हाँ, इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि आप सामने वाले के सम्मान में झुकें, उसको नमस्ते, नमस्कार, अथवा प्रणाम कहें। आइए नमस्ते, नमस्कार और प्रणाम शब्दों को समझते हैं–

★'नमस्ते' शब्द 'नमः+ते' से बना है। 'नमः' शब्द 'नम्' से बना है, जो संस्कृत की धातु है और जिसका अर्थ है– 'झुकना'। 'ते' का अर्थ है– 'तुम्हारे लिए'। इस तरह, 'नमस्ते' का शाब्दिक अर्थ हुआ– ‘तुम्हारे लिए झुकता हूँ।’

★ संस्कृत में 'नम्' से 'नम' बना और 'नम' (झुकने) की प्रक्रिया को ‘नमन’ कहा गया। इस पर ध्यान दें कि अधिसंख्य संस्कृतियों में झुकना, अभिवादन करने का पर्याय है। अस्तु, नमन के प्रत्युत्तर में ‘प्रतिनमन’ (नमन के बदले नमन) शब्द का प्रयोग उचित है–अगर दोनों समान वय के हों तो। छोटे को आशीष दिया जाना चाहिए।

★ हमने देखा कि झुकना के लिए 'नम्' धातु है। यही कालांतर में अभिवादन के लिए नमन, प्रणाम, नमस्ते आदि शब्दों के रूप में ढल गए। आपने पढ़ा अथवा सुना होगा: श्री दुर्गायै नमः, श्री सरस्वत्यै नमः, श्री गुरवे नमः आदि। ऐसे शब्दों में जो ‘नमः’ शब्द है, वह प्रणाम, झुकना अभिवादन करना आदि अभिव्यंजित करता है।

★'नमस्ते' का सारांश हुआ– 'झुक कर प्रणाम करना'। इसकी एक मुद्रा होती है, जिसमें पीठ आगे की ओर कुछ झुकी हुई, छाती के मध्य में दोनों हाथ आपस में जुड़े हुए और उँगलियाँ आकाशोन्मुखी रहती हैं। जहाँ हम दोनों हाथ जोड़कर रखते हैं, वह हृदय के क़रीब है। तो, कहीं-न-कहीं इससे अभिव्यंजित होता है कि मैं हृदय से आपके लिए झुक रहा हूँ। शरीर कम भी झुके, हृदय झुकना चाहिए। हाँ, कुछ लोग 'नमस्ते' को 'नमः+अस्ते' समझते हैं, जो कदापि उचित नहीं है।

★ अब 'नमस्कार' शब्द को देख लेते हैं: 'नमस्कार' शब्द नमस्ते से अधिक आध्यात्मिक हो न हो; परंतु भाषा-विज्ञान के अनुसार अधिक बलवान् शब्द है क्योंकि इसमें कार/कार्य/क्रिया का स्पष्ट बोधन है।

★'नम्' धातु से निर्मित 'नमस्'(नम्+असुन्) अभिवादन है, प्रणाम और पूजा का वाचक है। जब आप 'नम्' से 'नम' और 'नम्र' होते हैं, तो 'नमत' हो जाते हैं अर्थात् 'झुकते' हैं। ऐसे में दुनिया आपको 'विनीत' कहती है।

★'नमस्कार' का अर्थ ‘‘झुकने की क्रिया’’। नमस्ते– आपके लिए झुकता हूँ। ध्यान दें कि ‘‘आपको नमस्ते करता हूँ’’ नहीं कह सकते हैं; लेकिन ‘’आपको नमस्कार करता हूँ’’ कह सकते हैं। [नमः+कार = नमस्कार]। 'नमः' का अर्थ झुकना और 'कार' का अर्थ कार्य। वैदिक परंपरा में कहा जाता है कि 'नमस्कार' में आकाश तत्त्व का आवाहन भी है। ऐसे 'नमस्कार' कई तरह के होते हैं: ‘सामान्य नमस्कार’ जिसमें केवल नमस्कार बोल दिया जाता है, पद नमस्कार (चरण स्‍पर्श), भावपूर्ण नमस्कार, साष्टांग नमस्कार आदि।

★ध्यान दें कि जो 'नमस्कार' के योग्य हों, आदरणीय हों, उन्हें 'नमस्य'(नमस्+यत्) कहा जाता है, जबकि जिसे नमस्कार किया गया हो(चाहे योग्य हो अथवा न हो), उसे 'नमसित'(नमस्य+क्त) कहा जाता है। 'नमसित' व्यक्ति 'नमस्य' हो, यह आवश्यक नहीं है और ठीक इसी तरह कोई 'नमस्य' सदा 'नमसित' हों, यह आवश्यक नहीं है।

★ 'प्रणाम' शब्द बना है– 'नम्' धातु में 'प्र' उपसर्ग जोड़कर। प्र+नम्+घञ् =प्रणाम। ‘प्र’ का अर्थ विशेष होता है। नम् धातु का अर्थ है– झुकना, इसलिए प्रणाम का अर्थ हुआ– ‘विशेष’ रूप से झुकना’। इसका अर्थ है कि जब हम प्रणाम कर रह होते हैं, तो यह नमस्ते की तरह केवल झुकना नहीं है, वरन् विशेष रूप से झुकना है। ध्यान दें कि 'प्रणत'(प्र+नम्+क्त) का अर्थ है– 'झुका हुआ'।

★'नम्' धातु की बात करें, तो 'नम्' से ही नम्र शब्द बना है। नम्र का अर्थ मुलायम भी है। नम्र वह है, जो आसानी से झुक जाए। नम्र से शब्द बना नम्रता। अगर कोई विशेष रूप से नम्र है, तो वह विनम्र कहलाएगा, क्योंकि ‘वि’ उपसर्ग विशेषताबोधक है। विनम्र के लिए polite, humble आदि शब्द हैं।
★'नम' से क्रिया बनती है– नमना, नवाँना आदि। हम ईश्वर, गुरु आदि के सामने शीष नवाते हैं।

★ भाषा के अध्येता यह जानते हैं कि शब्दों की व्युत्पत्ति भले ही क्षेत्र विशेष पर भी निर्भर करती है, विशिष्ट भावों के लिए प्रत्येक भाषा में जो शब्द हैं, उनमें कुछ साम्य रहता ही है।

★ नमाज पढ़ने के लिए मुसलमान 'सिजदा' करते हैं। सिजदा भी अरबी ज़बान में ‘सज्द’ से बना है। सज्द- सजदा-सिजदा। बहरहाल, सिजदा के मूल में भी झुकना ही है। अतः, हम देखते हैं कि झुकना अभिवादन का एक सामान्य शिष्टाचार है। यह दिखाता है कि व्यक्ति लोचदार है, वह विनम्र है।

★'नम्र' धातु से 'नम्र' शब्द का बनना और इसी से 'नम्रता' शब्द की व्युत्पत्ति को समझते समय धातु, क्रिया, विशेषण और भाववाचक संज्ञा आदि पर विशेष बल न देते हुए, मूल और साम्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

★'प्रणाम' शब्द में ‘विशेष रूप से झुकना’ अर्थ की व्यंजना देख लेने के पश्चात् इससे जुड़े कुछ अन्य शब्दों को भी देख लेना समीचीन होगा:

★'प्रणामी' शब्द का अर्थ है– 'प्रणाम करने वाला'। प्रणामी का दूसरा अर्थ है– दान अथवा दक्षिणा जो बड़ों को प्रणाम करते समय, हम उनके चरणों पर आदरपूर्वक चढ़ाते हैं अथवा अर्पित करते हैं।

★ मंदिरों में दानपात्र पर 'प्रणामी' लिखा रहता है, क्योंकि वह हम मानसिक रूप से ईश्वर के चरणों पर अर्पित करते हैं।

★ 'प्रणायक' शब्द का अर्थ मार्गदर्शक अथवा पथ-प्रदर्शक होता है; जो हमें झुकना अथवा प्रणाम करना सिखा देता है।

★ 'प्रणिता' का अर्थ है– मंत्र से संस्कारित, निर्मित, तैयार अभिमंत्रित आदि।
★ 'अभिप्रणीत' का अर्थ है– अच्छी तरह से तैयार।
★ 'मनः प्रणीत' का अर्थ है– जो मन को प्रिय हो, मन में जो अच्छी तरह निर्मित हो अथवा बसा हुआ हो।
★ अब प्रश्न उठता है कि नमस्कार, नमस्ते और प्रणाम में क्या अंतर है? जैसा कि हमने देखा: नमस्कार का अर्थ है– ‘’मैं आपको नमन करता हूँ अथवा आपके सम्मान में झुकता हूँ।‘’ यह मिलते समय अथवा प्रथम मिलन पर किया जाना वाला अभिवादन प्रतीत होता है। इसलिए सूर्य नमस्कार करते हैं– सुबह-सुबह प्रथम दर्शन के समय। सूर्य को नमस्ते नहीं करते।

★ विदा लेते समय पुनः अभिवादन के लिए 'नमस्ते' शब्द का प्रयोग होना चाहिए। विदा लेते समय प्रयुक्त होने वाले संबोधनों में ‘राम! राम!’ और ‘ख़ुदा हाफ़िज’ में भी साम्य है। 'ख़ुदा-हाफ़िज' का अर्थ है– ख़ुदा ही रखवाला है। इसका निहितार्थ है कि हम अलग हो रहे हैं, अब ख़ुदा ही रक्षा करेंगे।

★'राम! राम!!' का अर्थ कण-कण में राम हैं। आपमें भी राम, मुझमें भी राम। अलग होते समय कहते हैं– "अच्छा जी, राम! राम!!" इसका अर्थ हुआ– "अच्छा जी, अलग हो रहे हैं…लेकिन कोई बात नहीं, राम तो घट-घट में हैं, वही रक्षा करेंगे।"
★'प्रणाम' शब्द का प्रयोग किसी भी सामान्य अभिवादन हेतु किया जा सकता है।

★विशेष: 'साष्टांग-प्रणाम' शब्द विशिष्ट है। यह है– 'स+अष्ट+अंग = साष्टांग'। 'स'-सहित, 'अष्ट'-आठ, अंग-अंगों से। इसका अर्थ यह कि अष्ट-अंगों से यह प्रणाम किया जाता है। ये अष्ट-अंग हैं– सिर, हाथ, पैर, हृदय अथवा छाती, जाँघ अथवा घुटना, मन, वचन और दृष्टि। अगर आप इन आठों अंग से युक्त होकर भूमि पर सीधा लेट कर प्रणाम करते हैं, तो यह 'साष्टांग-प्रणाम' कहलाता है।
'यह' और 'ये' में अंतर
[भाषा संशय-शोधन ]
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★ इन दोनों शब्दों को लेकर कई स्थापित लेखकों में भी स्पष्टता का अभाव दिखता है, जबकि सहजता से इनसे संबंधित अशुद्धियों से बचा जा सकता है। आइए, देखते हैं–

★ 'यह' एकवचन है। यह संस्कृत के 'इदम्' तथा अँग्रेज़ी के 'This' के अर्थ का बोधक है। 'यह' का बहुवचन है ‘ये’। 'ये' अँग्रेज़ी के 'These' का बोधक है। स्पष्टता के अभाव में लोग एक की जगह दूसरे का प्रयोग करते हैं, जैसे– “मैं ये कहना चाहता हूँ” ग़लत है। सही है– “मैं यह कहना चाहता हूँ”।

★ “इस उत्पाद की ये विशेषता है कि…” ग़लत प्रयोग है। “ इस उत्पाद की यह विशेषता है” सही प्रयोग है।

★ एकवचन आदरसूचक के लिए भी 'ये' का प्रयोग होता है, यथा– "ये मेरे पिताजी हैं। ये एक बड़े हिंदी प्रेमी हैं।" यहाँ 'ये' एकवचन आदरसूचक रूप में है; परंतु कोई कहे “उसकी ये आदत है कि वह …” , तो यह ग़लत प्रयोग होगा। 'यह' होगा, 'ये' नहीं।

★निष्कर्षतः,‘यह’ की जगह ‘ये’ और ‘ये’ की जगह ‘यह’ लिखना असाधु प्रयोग है।

★विशेष : 'सूचक' शब्द 'सूचना देने वाले' के अर्थ में प्रयुक्त होता है। ऐसे, 'सूचना' शब्द की व्युत्पत्ति बहुत ही रोचक है। संस्कृत की 'सूच्' धातु बहुलार्थक है। इसमें बताने, निर्देशित करने का बोध है, तो चुभोने, कोंचने अथवा बींधने का भी। ऐसे, कुछ बताने के लिए बगल में बैठे व्यक्ति को कभी-कभी हम कोंचते हैं अथवा उँगलियाँ चुभाते हैं। जानना चाहिए कि सूचना देने में भी यही भाव है और इसलिए सूच्, सूच:, सूचनम् से 'सूचना' शब्द की निर्मिति है। 'सूची' में भी यही भाव झाँक रहा है। 'सूचिका' अथवा 'सूचि' तो वह सूई ही है, जो चुभती है। भाषावैज्ञानिक दृष्टि से देखें, तो 'सूचिका' शब्द से पहले 'सूइया' शब्द बना, जो रूपांतरित होकर 'सूई' हो गया।

#भाषा_संशय_शोधन
द्रष्टव्य :– ‘दृश्’ धातु में ‘तव्य’ प्रत्यय जुड़ने से ‘द्रष्टव्य’ शब्द बनता है; जिसका अर्थ है– ‘देखने योग्य’। भ्रमवशात्, लोग इसे ‘दृष्टव्य’ लिख देते हैं, जो नितांत अनुचित है।
इस तरह के शब्द शोधन आपको वर्तनी में काफी सहयोग देंगे
अच्छी हिंदी

['उम्र, आयु और अवस्था में अंतर']
★★★★★★★★★★★★★★

तीनों शब्दों में अंतर स्पष्ट हो, उससे पूर्व एक वाक्य पर विचार करें : “वह 60 साल की अवस्था में मर गया।” क्या यह वाक्य सही है?

#जी, नहीं । यह व्याकरणिक रुप से और ‘शब्द-मीमांसा’ की दृष्टि से ग़लत है। सही वाक्य होगा– “वह 60 साल की आयु में मर गया।”

#इस भूमिका के बाद आइए इन शब्दों के अर्थ पर विचार करते हैं–

# सबसे पहले आयु : 'जीवन-काल' को आयु कहते हैं। इसका अर्थ हुआ– जन्म के समय से लेकर मृत्यु के समय तक के बीच के अंतराल को ‘आयु’ कहते हैं। इसे आप जीवन-काल समझें!

# दीर्घ आयु/आयुष/आयुष्य की कामना के लिए प्राचीन काल से ही “दीर्घायु भव !” अथवा “आयुष्मान/ आयुष्मती भव !” का आशीष दिया जाता है। स्पष्ट है कि 'आयु' पूरे जीवन काल के लिए प्रयुक्त होता है। इसीलिए एक और आशीष है - “चिरंजीवी भव !”

# अवस्था : अवस्था का शाब्दिक अर्थ हालत या दशा है। लड़कपन, जवानी, अधेड़ावस्था और बुढ़ापा इसके उदाहरण हैं। ग़ौर करें कि ‘अधेड़ावस्था’ में अवस्था शब्द तो समाया हुआ ही है।

# उम्र का अर्थ है : जन्म से लेकर वर्तमान तक का समय; जबकि हमने देखा कि आयु जन्म से मृत्यु तक का समय होता है। यह अरबी मूल का है और फ़ारसी होते हुए हिंदी में प्रयुक्त होने लगा है। अगर कोई कहता है कि सोहन की उम्र 40 साल है, तो यह दर्शाता है कि सोहन की मृत्यु अभी नहीं हुई है। यहाँ अगर कहा जाए कि सोहन की आयु 40 वर्ष है, तो इसका अर्थ होगा कि वह 40 वर्ष बाद मर जाएगा।

# अगला शब्द है वय : ‘वय’ शब्द संस्कृत के ‘वयस’ से बना है जिसका अर्थ है– उम्र अथवा अवस्था (लेकिन आयु नहीं )। ‘वय’ शब्द का दूसरा अर्थ यौवन भी होता है ।

#संस्कृत में ‘वयन’ का अर्थ है ‘बुनना’ या ‘बुनने का कार्य’।

# आपके शरीर के अंदर भी मांसपेशियों का जाल, कोशिकाओं का जाल बुना हुआ है। जब यह कार्य अपने चरम पर होता है तो आप परिपक्व हो जाते हैं और उसके लिए शब्द है -’वयस्क होना’ । इस समय आपके अन्तरवयव( भीतर के अवयव) सबसे मजबूत होते हैं।

# वयस्कता को परिपक्वता कहते हैं। बचपन और यौवन के बीच के काल को ‘वयःसंधि’ कहते हैं। किशोर वय का अर्थ है- teen age

# ‘पन’ प्रत्यय लगाकर भी अवस्था का बोध होता है, जैसे– बालकपन, लड़कपन, अधेड़पन , किशोरपन, बचपन।


#भाषा_संशय_शोधन