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बीजिंग स्थित जीन फर्म ने दुनिया में पहली बार एक जंगली आर्कटिक भेड़िया का सफलतापूर्वक क्लोन बनाया है. आर्कटिक वुल्फ को व्हाइट वुल्फ या पोलर वुल्फ के रूप में भी जाना जाता है. ये कनाडा के क्वीन एलिजाबेथ द्वीप समूह के हाई आर्कटिक टुंड्रा के मूल निवासी हैं. 

तकनीक के माध्यम से इस जानवर की क्लोनिंग, दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है. इसका नाम माया है ।
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पाटलिपुत्र का इतिहास

मगध शासकों ने गंगा गंडक व सोन नदी के संगम पर पाटलिग्राम नामक एक जल दुर्ग का निर्माण करवाया। बाद में इसका नाम पाटलिपुत्र हुआ।
हर्यक वंश के शासक उदायिन ने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र (कुसुमपुर) से राजगृह स्थानांतरित किया।
राजगृह के बाद पाटलिपुत्र में मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त |

अशोक ने शासन किया। मौर्य साम्राज्य की राजधानी व एशिया का सबसे बड़ा मौर्य व नगर बना।

चीनी यात्री ह्वेनसांग 7वीं सदी में यहां आये तो यह नगर खंडहर में बदला हुआ मिला था। वर्तमान में पाटलिपुत्र का नाम पटना है जो आधुनिक बिहार की राजधानी है।
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निबंध:

कवि संसार के अनाधिकृत रूप से मान्य विधायक होते हैं ( upsc 2022 )
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हूणों का आक्रमण

• हूण मध्य एशिया की एक बर्बर जाति थी।

• तिगिन को हूणों का प्रथम राजा माना जो गांधार का शासक था।

• भारत में हूणों का प्रथम आक्रमण स्कंदगुप्त के समय में हुआ। इसका नेता खुशनवाज था।

• स्कंदगुप्त व हूणों के बीच युद्ध का वर्णन भितरी स्तंभ लेख में हुआ है।

• हूणों का द्वितीय आक्रमण तोर माण के नेतृत्व में हुआ। उसने चन्द्रभागा नदी के तट पर पवैय्या नामक स्थान पर अपना शासन स्थापित किया।

• तोरमाण के बाद उसका पुत्र मिहिर कुल ने भी अपना राज्य स्थापित किया

• उसकी राजधानी स्यालकोट थी। उसके गवालियर लेख से ज्ञात होता है कि वह शिव का भक्त था।
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ईरान हिज़ाब और लड़कियां

ईरान एक मध्य एशियाई देश है जो धार्मिक तौर पर एक मुस्लिम राष्ट्र है वहां पर एक आंदोलन अभी खूब चर्चा में है , जिसमें महिलाएं ईरान की सड़कों पे हैं । जगह- जगह एक अलग किस्म की होली जलाई जा रही है जिसकी हिमाकत आज तक नहीं की गई लेकिन बहुत पहले की जानी चाहिए थी । ईरान की सड़कों पे जलती हुई आग और कुछ भी नहीं यह है उस प्राचीन संकुचित , अतर्किक , दकियानुशी और पितृसत्तात्मक विचारों के जलने की,जो एक मुस्लिम वर्ग की महिलाओं दिमागों में बचपन से लाद दिए जाते हैं और वो विचार है हिज़ाब और बुर्के। अब तो ये उनकी संस्कृति का हिस्सा हो चुके हैं और न चाहते हुए भी पहनना होता है ।

आज ईरान में जो सड़कों पर चिल्लाती , नारे लगाती ,आग में हिज़ाब जलती, और विरोध में अपने बाल तक काट देने वाली लड़कियों के वीडियो और फोटो हमें दिखाई दे रहे हैं ये बहुत पहले हो जाना चाहिए था लेकिन देर आए दुरूस्त आए .... बेहतर है ।
हिज़ाब पहनने के इस मुद्दे को धर्म से बांध देने को कोशिश होती रही है कि उसे बाहर से कुछ कहकर या दबाब बना कर बंद नहीं किया जा सकता था इसके लिए जरूरत थी आत्म जागरण की स्वप्रेरणा की और खुद महिलाओं को मर्जी की ... शायद महिलाओं में ये हिम्मत रही भी होगी लेकिन वो आगे नहीं आ पाई इस हिम्मत को जिंगारी देने का काम किया उस महिला को हत्या ने जो ईरान में कुछ दिन पहले ठीक तरीके से हिजाब न पहन पाने के कारण मार दी गई ।

अब महिलाएं सड़कों पर है और होना ही चाहिए और हर वर्ग की महिलाओं को होना चाहिए उन्हें हर उस मुद्दे पर होना चाहिए जहां जरूरत है , जो रूढ़ियां उनके अधिकारों को सीमित करे , उस हर एक व्यवस्था के लिए महिलाओं को सड़कों पर उतरना चाहिए और नारे लगाने चाहिए आग लगा देनी चाहिए उस व्यवस्था को जो उनके अधिकार सीमित करे उन्हें सीमाओं में बांधने की कोशिश करें, पुरुषों से कमतर करने की कोशिश करे।

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हड़प्पा संस्कृति ---

1. नगरीय सभ्यता

2. पक्की ईंटों का प्रयोग

3. घोड़ों के प्रयोग से अपरिचित

4. देवियों की प्रधानता

5. गणतंत्रात्मक स्थिति मजबूत

6. युद्ध के न्यूनतम साक्ष्य

7. मुहरों पर हाथी व बाघ का अंकन

8. मातृसत्तात्मक समाज

9. संयुक्त परिवार प्रथा से अपरिचित

10. उद्योग आधारित अर्थव्यवस्था

11. मूर्तिपूजा का प्रचलन

12. पवित्र पशु बैल (वृषभ) थी

13. वर्णव्यवस्था का अभाव

14. मछली का मांस प्रिय

15. मातृदेवी व शिव की पूजा
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सती प्रथा का अंत

इतिहास में गुप्त काल से पहले तक उत्तर भारत में अंतिम संस्कार के समय स्वेच्छा से स्वामीभक्ति दर्शाने के लिए जान देने का प्रचलन था। इसके लिए विधवा का जान देना जरूरी नहीं था ।

बादशाह अकबर ने सती की कुरीति को मिटाने का प्रयास किया लेकिन वे इसमें पूरी तरह सफल नहीं रहे।

1828 में राजाराममोहन राय ने ब्रह्म समाज की स्थापना कर सती प्रथा के खिलाफ अभियान चलाया।

1829 में तत्कालीन वायसराय लॉर्ड विलियम बेंटिक ने सती प्रथा पर रोक लगा दी।
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साम्प्रदायिक पंचाट (1932 ई.) -::::::-

16 अगस्त, 1932 ई. को विभिन्न सम्प्रदायों के प्रतिनिधित्व के विषय पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने 'कम्युनल अवार्ड' (मैवडोनाल्ड अवर्ड) जारी किया। यह वस्तुत: अंग्रेजों की 'बांटो व राज करो' नीति का वास्तविक रूप था। इस पंचाट में पृथक निर्वाचक पद्धति को न केवल मुस्लिमों के लिए जारी रखा गया अपितु इसे दलित वर्गों पर भी लागू कर दिया गया। पूणे के यखदा जेल मे उस अर्वाड के विरोध मे महात्मा गांधी ने जेल में ही 20 सितम्बर, 1932 ई. को आमरण अनशन प्रारम्भ कर दिया। यह भारत का प्रथम आमरण अनशन था।
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कौटिल्य का सप्तांग सिद्धांत -:

(1) राजा (सिर),

(2) आमात्य (आँख),

(3) जनपद (जंघा),

(4) दुर्ग (बाँह),

(5) कोष (मुख),

(6) दण्ड(मस्तिष्क),

(7) मित्र (कान)।

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Forwarded from MPPSC by VS Education (VSE)
💐 इंदौर में NEYU द्वारा विशाल पैदल मार्च - 25 सितंबर - दोपहर 3 बजे 💐

✍️MPPSC के रिजल्ट्स जारी करने सहित विभिन्न व्यापम EXAMS की अनियमितताओं को दूर करने की मांगे रखी गईं
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अन्त्योदय-

अन्त्योदय का सरल अर्थ है-'समाज के अंतिम व्यक्ति का उदय' अन्त्योदय एक आर्थिक विचार है, जो आर्थिक विकास के साथ समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण करना चाहता है।
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय की रचनाएँ

प्रमुख रचनाएँ-
(1) दो योजनाएँ,

(2) राजनीतिक डायरी,

(3) सम्राट चंद्रगुप्त,

(4) एकात्मक मानववाद,

(5) भारतीय अर्थनीति का अवमूल्यन,

(6) जगद्गुरू शंकराचार्य ।