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एक देश एक चुनाव के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन दो सितंबर, 2023 को किया गया था। सभी पक्षों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक विचार विमर्श के 191 दिनों के बाद यह रिपोर्ट तैयार की गई है। पीएम मोदी वन नेशन वन इलेक्शन के विचार का समर्थन करते रहे हैं और उन्होंने कहा है कि देश को आगे ले जाने के लिए यह जरूरी है।
एक चुनाव को लेकर बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंप दी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपी गई 18000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली एक उच्च स्तरीय समिति ने कहा है कि एक साथ चुनाव कराए जाने से विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही लोकतांत्रिक परंपरा की नींव गहरी होगी और इंडिया जो कि भारत है की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी। उच्च स्तरीय समिति ने वन नेशन वन इलेक्शन के मुद्दे पर 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया था जिसमें 47 राजनीतिक दलों ने जवाब दिया। इसमें 32 पार्टियों ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया वहीं 15 राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया। गुरुवार समिति की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में इन 5 बड़ी बातों का जिक्र है
➤ पूर्व राष्ट्रपति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने पहले कदम के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है। साथ ही इसके बाद 100 दिनों के भीतर एक साथ स्थानीय निकाय चुनाव कराने की भी सिफारिश की है। इस समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा कि त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी स्थिति में नयी लोकसभा के गठन के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं।
➤ इस रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा के लिए जब नए चुनाव होते हैं, तो उस सदन का कार्यकाल ठीक पहले की लोकसभा के कार्यकाल के शेष समय के लिए ही होगा। जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव होते हैं, तो ऐसी नई विधानसभाओं का कार्यकाल -अगर जल्दी भंग नहीं हो जाएं तो लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल तक रहेगा।
➤ समिति ने कहा कि इस तरह की व्यवस्था लागू करने के लिए, संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन की आवश्यकता होगी। समिति ने कहा इस संवैधानिक संशोधन की राज्यों द्वारा पुष्टि किए जाने की आवश्यकता नहीं होगी। समिति ने संवैधानिक संशोधन की भी सिफारिश की है ताकि लोकसभा, सभी राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव 2029 तक हो सकें।➤ यह भी सिफारिश की गई है कि कि भारत निर्वाचन आयोग राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से एकल मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करे। समिति ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए मतदाता सूची से संबंधित अनुच्छेद 325 को संशोधित किया जा सकता है। फिलहाल, भारत निर्वाचन आयोग पर लोकसभा और विधानसभा चुनावों की जिम्मेदारी है, जबकि नगर निकायों और पंचायत चुनावों की जिम्मेदारी राज्य निर्वाचन आयोगों पर है।
➤ समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, अब, हर साल कई चुनाव हो रहे हैं। इससे सरकार, व्यवसायों, कामगारों, अदालतों, राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और बड़े पैमाने पर नागरिक संगठनों पर भारी बोझ पड़ता है। इसमें कहा गया है कि सरकार को एक साथ चुनाव प्रणाली लागू करने के लिए कानूनी रूप से व्यवहार्य तंत्र विकसित करना चाहिए। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि संविधान के मौजूदा प्रारूप को ध्यान में रखते हुए समिति ने अपनी सिफारिशें इस तरह तैयार की हैं कि वे संविधान की भावना के अनुरूप हैं और उसके लिए संविधान में संशोधन करने की नाममात्र जरूरत है।
वन नेशन वन इलेक्शन
SI ke liye Application window एक बार पुनः खोली गई है ।।
उत्तराखंड हाइकोर्ट कनिष्ठ सहायक और वैयक्तिक सहायक