Forwarded from Utkarsh Classes
शब्द शिल्प शृंखला-63
"कोई कठिन रास्ता चुनो..."
आँसू बहाकर भीगने से अच्छा है किसी मक़सद को पूरा करने के लिए पसीने से भीगें। आंसुओं से मन हल्का होता है लेकिन जीवन में उठे किसी भी रेतीले तूफान को पसीने रूपी बारिश की बूंदों से जमींदोज़ किया जा सकता है।
अगर आपकी आत्मा ने स्वीकार कर लिया कि आप कभी ना बुझने वाला चिराग है तो जीवन में आया चक्रवात कुछ फड़फड़ाहट पैदा कर चला जाएगा।
एकबार मान लिया कि जीवन कठिन है लेकिन कठिन किससे है? जीवन रूपी नाव के खेवनहार हम खुद है और चप्पू हमारे जीवन संघर्ष के प्रतीक है। जो पानी नाव को कल्लोलित कर परेशान कर देता है उसका प्रवाह ही उसे आगे बढ़ाता है। घहराती भीषण लहरें आपकी नाव को पलट भी सकती है। उथल पुथल वाले पानी से उलझने निकले हो तो तैरने का हुनर भी आना चाहिए। तैरने निकले हो तो तुमसे टकराने वाली हर लहर को छितराना आना चाहिए।
घिसे पिटे रास्ते पर चलने वाले जलूस में शामिल होकर नारे लगाने के बजाय तापसी इरादों को लेकर कोई कठिन रास्ता चुनो। रास्ता ऐसा हो जो आपमें भय और आशंकाओं की झुरझुरी पैदा करता हो लेकिन वहाँ से जो मंजिल मिलती है वो हमें बिना सपनों वाली नींद दे। वैसे स्वप्नलोक को हकीकत में तब्दील करने वाला जीवन तो आप जी ही रहे हैं। बखूबी समझ लो जीवन उन्होंने जिया हैं जो हर सूरत में याद रखते है कि ये दुबारा मिलता नहीं है और हमारे हर हिस्से को प्रकृति ने किसी प्रयोजन के लिए बनाया है।
प्रयोजन को समझना और रास्ते पर चल पड़ना ही जीवन है। छांव में बैठकर सुस्ताने वालों के लिए भयंकर बवंडर आने वाले हैं।
शब्द शिल्प:
डॉ अर्जुन सिंह साँखला
प्राचार्य, लक्की इन्सटिट्यूट अॉफ प्रोफेशनल स्टडीज, जोधपुर।
"कोई कठिन रास्ता चुनो..."
आँसू बहाकर भीगने से अच्छा है किसी मक़सद को पूरा करने के लिए पसीने से भीगें। आंसुओं से मन हल्का होता है लेकिन जीवन में उठे किसी भी रेतीले तूफान को पसीने रूपी बारिश की बूंदों से जमींदोज़ किया जा सकता है।
अगर आपकी आत्मा ने स्वीकार कर लिया कि आप कभी ना बुझने वाला चिराग है तो जीवन में आया चक्रवात कुछ फड़फड़ाहट पैदा कर चला जाएगा।
एकबार मान लिया कि जीवन कठिन है लेकिन कठिन किससे है? जीवन रूपी नाव के खेवनहार हम खुद है और चप्पू हमारे जीवन संघर्ष के प्रतीक है। जो पानी नाव को कल्लोलित कर परेशान कर देता है उसका प्रवाह ही उसे आगे बढ़ाता है। घहराती भीषण लहरें आपकी नाव को पलट भी सकती है। उथल पुथल वाले पानी से उलझने निकले हो तो तैरने का हुनर भी आना चाहिए। तैरने निकले हो तो तुमसे टकराने वाली हर लहर को छितराना आना चाहिए।
घिसे पिटे रास्ते पर चलने वाले जलूस में शामिल होकर नारे लगाने के बजाय तापसी इरादों को लेकर कोई कठिन रास्ता चुनो। रास्ता ऐसा हो जो आपमें भय और आशंकाओं की झुरझुरी पैदा करता हो लेकिन वहाँ से जो मंजिल मिलती है वो हमें बिना सपनों वाली नींद दे। वैसे स्वप्नलोक को हकीकत में तब्दील करने वाला जीवन तो आप जी ही रहे हैं। बखूबी समझ लो जीवन उन्होंने जिया हैं जो हर सूरत में याद रखते है कि ये दुबारा मिलता नहीं है और हमारे हर हिस्से को प्रकृति ने किसी प्रयोजन के लिए बनाया है।
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